पद्मासन और वज्रासन: विधि, लाभ और सावधानियां

पद्मासन और वज्रासन: विधि, लाभ और सावधानियां

योग गुरु सुनील सिंह

प्रतिदिन योगाभ्यास से शरीर स्वस्थ एवम् मन शान्त होता है, जिसके परिणामस्वरूप अंदर की शक्तियां जाग जाती है, चक्रों का भेदन होता है, मन एकाग्र होता है और शरीर के काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। जीवन का मूल रूप से रूपांतरण हो जाता है, मनुष्य के काम करने व सोचने की दिशा ठीक हो जाती है जिससे काम में सफलता मिलती है और मन प्रसन्न हो जाता है। यह प्रसन्नता यदि लगातार बनी रहे तो आनंद का रूप लेती है, आनंद का दूसरा रूप ही परमात्मा है। मनुष्य की यही स्थिति संपूर्ण योग है।

योग आज किसी धर्म विशेष का ना होकर छोटे शहरों से बड़े महानगरों तक चलते-चलते विश्व भर में शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने का मूलमंत्र बन गया है। योग का अर्थ ही “मिलाना” है तो हम इसे किसी भी धर्म, जाति, लिंग, वर्ण या राष्ट्र से नहीं जोड़ सकते हैं। इसलिए विश्व के कल्याण और योग के प्रचार के लिए विश्व को योगमय बनाने का सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए। इसे धर्म से ऊपर “जीवन जीने की कला” के रूप में देखना चाहिए।

आज हम दो आसनों की चर्चा करेंगे। इन्हें करने का तरीका, इनके लाभ और इसे करने में सावधानियों को अच्छे से समझ लें।         

पद्मासन

इस आसन में हमारे शरीर की आकृति कमल के फूल के समान हो जाती है। इसलिए इसे कमलासन या फिर पद्मासन कहा जाता है। इस आसन में साधक अपने चेतनारूपी कमल को विकसित करता है।

विधि: जमीन पर आसानी पूर्वक बैठ जाएं और अब अपनी दाईं टांग को घुटनों से मोड़कर बाईं जंघा पर रखें। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर की जंघा पर रखें। दोनो पैरों की एड़ियां नाभि के पास होनी चाहिए। कमर, गर्दन और कन्धे बिल्कुल सीधे। आंखे बन्द करके दोनों हाथों को घुटने पर ज्ञान मुद्रा (दोनो हाथों की तर्जनी अंगुलियां अंगूठे के पोर अग्रभाग को स्पर्श करे) में रखें। चेहरे पर बिना तनाव लाए हुए अपनी क्षमतानुसार इस आसन में बैठें। नए साधक शुरू-शुरू में कम से कम 5 मिनट तक बैठने का अभ्यास करें और फिर धीरे-धीरे समय को बढ़ाते जाएं। श्वास की गति सामान्य होनी चाहिए।

लाभ: कहा जाता है कि प्राणायाम बिना पद्मासन लगाए सिद्ध नहीं हो सकता है। इस आसन के अभ्यास से कब्ज, गैस, बदहजमी की शिकायत दूर होती है। हमारी पाचन शक्ति बढ़ जाती है। जंघा, पिंडलियों और घुटनो को अत्यधिक शक्ति मिलती है। इस आसन से ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यासियो को समान रूप से लाभ मिलता है। इस आसन में ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से चित्त की चंचलता, क्रोध और मानसिक तनाव कम हो जाते हैं। यह मुद्रा हमारे आज्ञाचक्र को भी विशेष रूप से प्रभावित करती है। हमारी स्मरण शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। नशा करने वाले व्यक्ति को यदि इस मुद्रा में रोज बैठाया जाए तो वह नशे का परित्याग कर देता है।

सावधानियां: साईटिका और कमजोर घुटने वाले व्यक्ति इस आसन का अभ्यास ना करें।

विशेष: प्रत्येक पैर को मोड़ने का अभ्यास धीरे-धीरे करें। रात में सोते वक्त अपने पैरों की एड़ियां तथा घुटनों की सरसों के तेल से मालिश करें।

 

‘वज्रासन’

इस आसन का सीधा प्रभाव हमारे शरीर की वज्र नाड़ी पर पड़ता है और इसके अभ्यास से अभ्यासी वज्र के समान कठोर एवं सख्त हो जाता है इसलिए हमारे योगियो ने इसका नाम वज्रासन रखा है। इस आसन में इस्लाम धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायी पूजा और ध्यान करते हैं।

विधि: दोनो टांगों को पीछे की ओर मोड़कर घुटने के बल बैठ जाएं। पैरों के तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए। दोनों पैरों के अंगूठे परस्पर एक-दूसरे से मिले हों। दोनों हाथों को जंघाओं पर रखते हुए एड़ियों को इस प्रकार खोल दें ताकि नितम्ब उन पर टिक जाएं। कमर, गर्दन, छाती बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। हमारे श्वास की गति सामान्य होगी। इस आसन का अभ्यास अपनी क्षमता और समयानुसार करें। शुरू-शुरू में कम से कम 2 मिनट तक इस आसन में बैठें, अभ्यस्त होने के बाद धीरे-धीरे समय को बढ़ा सकते हैं।

लाभ: इसके अभ्यास से वात, बदहजमी, कब्ज रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। अतिनिद्रा वालों के लिए यह परम उपयोगी है। विद्यार्थी अथवा रात में जागकर काम करने वाले लोगों के लिए यह बहुत ही लाभदायक है। इस आसन में नाड़ियों का प्रवाह ऊर्घ्वगामी हो जाता है, जिससे भोजन शीघ्र पच जाता है। जो महिलाएं गर्भवती अवस्था में इसका अभ्यास करती हैं, उनकी नार्मल डिलीवरी होती है। हमारे प्रजनन संस्थान वाले स्थान में रक्त का संचालन कम होने के कारण पुरूषों में अंडवृद्धि यानी (हाइड्रोसिल) नामक बीमारी नहीं होती है।

सावधानियां: गठिया रोगी इसका अभ्यास ना करें।

विशेष: नए साधकों को अपने पैरों के ताल, एड़ियों में दर्द का आभास होगा। आसन को खत्म करने के बाद अपने पैरों को अवश्य हिलाऐं, जिससे रक्त का संचार पैरों में भली-भांति होगा। यह एक ऐसा योग आसन है, जिसे भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है।

फोटो परिचय:  पद्मासन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (ऊपर) और वज्रासन में योग गुरु सुनील स‍िंंह

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